Wednesday 16 November 2016

Fatehpur Shekhawati

कायथ परिवार का इतिहास 
सरनेम कायथ, जात तेली, धर्म सुन्नी मुस्लिम,
राजा फतेह खान परिवार एंड कायथ परिवार दोनों मिल कर फतेहपुर शेखावाटी को बसाया है,
तेली जात में सबसे ऊँचा खानदान कायथ खानदान है,
कायथ खानदान तेली जात का बहुत भला किया है,
कोई भी तेली जात को कुछ भी प्रोब्लम या कोई तकलीफ होती थी तो वह कायथ परिवार के पास आते थे, कायथ परिवार उन की प्रोब्लम और तकलीफ का Solution निकालते थे,
क्यों की कायथ परिवार की बहुत पहचान थी, और उनका नाम भी था,  
तेली जात पर बहुत से प्रतिबन्ध थे वह सब कायथ परिवार ने हटवाये,
कायथ परिवार 1480 से 1887 तक पेसे वाला परिवार था क्यों की कायथ परिवार और राजा जलाल खान का परिवार दोनों परिवारों में दोस्ती थी,
राजा जलाल खान का परिवार कायथ परिवार की बात को कभी भी गिरने नहीं दिया,
इस लिए तेली जात के सब खानदान कायथ खानदान से दोस्ती और रिश्ता करने की दिल में तमन्ना रखते थे,
राजा जलाल खान के घर में सिर्फ कायथ खानदान को अन्दर जाने की इजाजत थी बाकि कोई भी तेली जात इन्दर नहीं जा सकते थे,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान की ओरतो ने (सोना gold) पहना,
फतेहपुर राजस्थान में तेली जात में सबसे ज्यादा प्रोपर्टी कायथ खानदान के पास थी,
मुम्बई में विठल वाड़ी कालबादेवी रोड और मुम्बादेवी मन्दिर के पास 3 गोड़ाउन (सांचा) थे, 
बम्बई में कायथ परिवार की 2 माले की बिल्डिंग थी मुम्बादेवी मंदिर के पास,
उस बिल्डिंग को कायथ परिवार ने तेली जात के रहने के लिए दिया था कोई भी तेली वंहा फिरि में रह सकता है कितने दिन भी और खाना भी खा सकता है फिरि में,
कायथ परिवार उस बिल्डिंग को तेली जात के लिए लि थि कोई भी तेली वंहा रह सकते थे, और रहते थे,
1876 में राजा फतेह सिन्घ & मुन्सी कायथ में बहुत करीबी दोस्ती थी,
तेली जात पर पाबंदी थी की वह सकर की मिठाई नहीं बना सकते, तेली जात सिर्फ गुड की मिठाई ही बनाती थी,
मुन्सी कायथ ने राजा फतेह सिंग को कहा की मेरी ख्वाइस है की मेरे घर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाऊंगा, राजा फतेह सिन्घ ने बोला की ठीक है बनवा लेना,
1887 में मुन्सी कायथ हज के लिए मक्का सऊदी अरबिया गये हज करने के बाद मदीना गये,
मदीना में मुन्सी कायथ की अचानक मोत हो गई उनको मदीना में द्फ्ना दिया,
(तारीख 09-September-1887 Friday),
तेली जात में सब से पहले मदीना में दफन होने वाले भी कायथ परिवार से थे,
फिर राजा फ़तेह सिन्घ जो उदैपुर राजस्थान के राजा थे उन्होंने पैगाम भिजवाया मुन्सी कायथ के घर में बताया की मुन्सी कायथ की मदीना में मोत हो गई है,
और उनकी खवाइस थी की मेरे गर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाउंगा मेने उनसे वादा किया था की बाना लेना,
मुन्सी कायथ के मरने के 40 दिन बाद राजा फ़तेह सिन्घ फतेहपुर राजस्थान वजीर कायथ के गर पर आया और वजीर कायथ के चालिसे में सकर की मिठाई बनाई,
और हमेसा के लिए प्रतिबन्ध हटा दिया,
इसका मतलब तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने सकर की मिठाई बनाई थी,
और तेली जात में सब से पहले हज भी कायथ परिवार ने पढ़ा,     
उस जमाने में कायथ परिवार का नाम था ईमानदारी में और सीधे लोगो में,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने अपनी प्रोपर्टी अपनी लडकीयो को सादी में दिए थे,
कायथ खानदान में लडके बहुत कम पैदा होते थे लडकिया जयादा पैदा होती थी इसलिए यह खानदान बड़ा खानदान नही बन पाया,
1480 से 1890, उस ज़माने में कायथ खानदान के पास 8 घर, 15 प्लोट, 12 खेत थे,
मुम्बई में 3 गोडाउन, एक 2 माले की बिल्डिंग थी,
सब को कायथ परिवार की नसीहत, >>>>>पांच दिन की हकुमत एंड दोलत पर इतना घमंड, कायथ परिवार तो 550 साल से सुल्तान है,

Fatehpur Rajasthan

कायथ परिवार का इतिहास 
सरनेम कायथ, जात तेली, धर्म सुन्नी मुस्लिम,
राजा फतेह खान परिवार एंड कायथ परिवार दोनों मिल कर फतेहपुर शेखावाटी को बसाया है,
तेली जात में सबसे ऊँचा खानदान कायथ खानदान है,
कायथ खानदान तेली जात का बहुत भला किया है,
कोई भी तेली जात को कुछ भी प्रोब्लम या कोई तकलीफ होती थी तो वह कायथ परिवार के पास आते थे, कायथ परिवार उन की प्रोब्लम और तकलीफ का Solution निकालते थे,
क्यों की कायथ परिवार की बहुत पहचान थी, और उनका नाम भी था,  
तेली जात पर बहुत से प्रतिबन्ध थे वह सब कायथ परिवार ने हटवाये,
कायथ परिवार 1480 से 1887 तक पेसे वाला परिवार था क्यों की कायथ परिवार और राजा जलाल खान का परिवार दोनों परिवारों में दोस्ती थी,
राजा जलाल खान का परिवार कायथ परिवार की बात को कभी भी गिरने नहीं दिया,
इस लिए तेली जात के सब खानदान कायथ खानदान से दोस्ती और रिश्ता करने की दिल में तमन्ना रखते थे,
राजा जलाल खान के घर में सिर्फ कायथ खानदान को अन्दर जाने की इजाजत थी बाकि कोई भी तेली जात इन्दर नहीं जा सकते थे,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान की ओरतो ने (सोना gold) पहना,
फतेहपुर राजस्थान में तेली जात में सबसे ज्यादा प्रोपर्टी कायथ खानदान के पास थी,
मुम्बई में विठल वाड़ी कालबादेवी रोड और मुम्बादेवी मन्दिर के पास 3 गोड़ाउन (सांचा) थे, 
बम्बई में कायथ परिवार की 2 माले की बिल्डिंग थी मुम्बादेवी मंदिर के पास,
उस बिल्डिंग को कायथ परिवार ने तेली जात के रहने के लिए दिया था कोई भी तेली वंहा फिरि में रह सकता है कितने दिन भी और खाना भी खा सकता है फिरि में,
कायथ परिवार उस बिल्डिंग को तेली जात के लिए लि थि कोई भी तेली वंहा रह सकते थे, और रहते थे,
1876 में राजा फतेह सिन्घ & मुन्सी कायथ में बहुत करीबी दोस्ती थी,
तेली जात पर पाबंदी थी की वह सकर की मिठाई नहीं बना सकते, तेली जात सिर्फ गुड की मिठाई ही बनाती थी,
मुन्सी कायथ ने राजा फतेह सिंग को कहा की मेरी ख्वाइस है की मेरे घर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाऊंगा, राजा फतेह सिन्घ ने बोला की ठीक है बनवा लेना,
1887 में मुन्सी कायथ हज के लिए मक्का सऊदी अरबिया गये हज करने के बाद मदीना गये,
मदीना में मुन्सी कायथ की अचानक मोत हो गई उनको मदीना में द्फ्ना दिया,
(तारीख 09-September-1887 Friday),
तेली जात में सब से पहले मदीना में दफन होने वाले भी कायथ परिवार से थे,
फिर राजा फ़तेह सिन्घ जो उदैपुर राजस्थान के राजा थे उन्होंने पैगाम भिजवाया मुन्सी कायथ के घर में बताया की मुन्सी कायथ की मदीना में मोत हो गई है,
और उनकी खवाइस थी की मेरे गर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाउंगा मेने उनसे वादा किया था की बाना लेना,
मुन्सी कायथ के मरने के 40 दिन बाद राजा फ़तेह सिन्घ फतेहपुर राजस्थान वजीर कायथ के गर पर आया और वजीर कायथ के चालिसे में सकर की मिठाई बनाई,
और हमेसा के लिए प्रतिबन्ध हटा दिया,
इसका मतलब तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने सकर की मिठाई बनाई थी,
और तेली जात में सब से पहले हज भी कायथ परिवार ने पढ़ा,     
उस जमाने में कायथ परिवार का नाम था ईमानदारी में और सीधे लोगो में,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने अपनी प्रोपर्टी अपनी लडकीयो को सादी में दिए थे,
कायथ खानदान में लडके बहुत कम पैदा होते थे लडकिया जयादा पैदा होती थी इसलिए यह खानदान बड़ा खानदान नही बन पाया,
1480 से 1890, उस ज़माने में कायथ खानदान के पास 8 घर, 15 प्लोट, 12 खेत थे,
मुम्बई में 3 गोडाउन, एक 2 माले की बिल्डिंग थी,
सब को कायथ परिवार की नसीहत, >>>>>पांच दिन की हकुमत एंड दोलत पर इतना घमंड, कायथ परिवार तो 550 साल से सुल्तान है,

Kayath History

कायथ परिवार का इतिहास 
सरनेम कायथ, जात तेली, धर्म सुन्नी मुस्लिम,
राजा फतेह खान परिवार एंड कायथ परिवार दोनों मिल कर फतेहपुर शेखावाटी को बसाया है,
तेली जात में सबसे ऊँचा खानदान कायथ खानदान है,
कायथ खानदान तेली जात का बहुत भला किया है,
कोई भी तेली जात को कुछ भी प्रोब्लम या कोई तकलीफ होती थी तो वह कायथ परिवार के पास आते थे, कायथ परिवार उन की प्रोब्लम और तकलीफ का Solution निकालते थे,
क्यों की कायथ परिवार की बहुत पहचान थी, और उनका नाम भी था,  
तेली जात पर बहुत से प्रतिबन्ध थे वह सब कायथ परिवार ने हटवाये,
कायथ परिवार 1480 से 1887 तक पेसे वाला परिवार था क्यों की कायथ परिवार और राजा जलाल खान का परिवार दोनों परिवारों में दोस्ती थी,
राजा जलाल खान का परिवार कायथ परिवार की बात को कभी भी गिरने नहीं दिया,
इस लिए तेली जात के सब खानदान कायथ खानदान से दोस्ती और रिश्ता करने की दिल में तमन्ना रखते थे,
राजा जलाल खान के घर में सिर्फ कायथ खानदान को अन्दर जाने की इजाजत थी बाकि कोई भी तेली जात इन्दर नहीं जा सकते थे,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान की ओरतो ने (सोना gold) पहना,
फतेहपुर राजस्थान में तेली जात में सबसे ज्यादा प्रोपर्टी कायथ खानदान के पास थी,
मुम्बई में विठल वाड़ी कालबादेवी रोड और मुम्बादेवी मन्दिर के पास 3 गोड़ाउन (सांचा) थे, 
बम्बई में कायथ परिवार की 2 माले की बिल्डिंग थी मुम्बादेवी मंदिर के पास,
उस बिल्डिंग को कायथ परिवार ने तेली जात के रहने के लिए दिया था कोई भी तेली वंहा फिरि में रह सकता है कितने दिन भी और खाना भी खा सकता है फिरि में,
कायथ परिवार उस बिल्डिंग को तेली जात के लिए लि थि कोई भी तेली वंहा रह सकते थे, और रहते थे,
1876 में राजा फतेह सिन्घ & मुन्सी कायथ में बहुत करीबी दोस्ती थी,
तेली जात पर पाबंदी थी की वह सकर की मिठाई नहीं बना सकते, तेली जात सिर्फ गुड की मिठाई ही बनाती थी,
मुन्सी कायथ ने राजा फतेह सिंग को कहा की मेरी ख्वाइस है की मेरे घर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाऊंगा, राजा फतेह सिन्घ ने बोला की ठीक है बनवा लेना,
1887 में मुन्सी कायथ हज के लिए मक्का सऊदी अरबिया गये हज करने के बाद मदीना गये,
मदीना में मुन्सी कायथ की अचानक मोत हो गई उनको मदीना में द्फ्ना दिया,
(तारीख 09-September-1887 Friday),
तेली जात में सब से पहले मदीना में दफन होने वाले भी कायथ परिवार से थे,
फिर राजा फ़तेह सिन्घ जो उदैपुर राजस्थान के राजा थे उन्होंने पैगाम भिजवाया मुन्सी कायथ के घर में बताया की मुन्सी कायथ की मदीना में मोत हो गई है,
और उनकी खवाइस थी की मेरे गर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाउंगा मेने उनसे वादा किया था की बाना लेना,
मुन्सी कायथ के मरने के 40 दिन बाद राजा फ़तेह सिन्घ फतेहपुर राजस्थान वजीर कायथ के गर पर आया और वजीर कायथ के चालिसे में सकर की मिठाई बनाई,
और हमेसा के लिए प्रतिबन्ध हटा दिया,
इसका मतलब तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने सकर की मिठाई बनाई थी,
और तेली जात में सब से पहले हज भी कायथ परिवार ने पढ़ा,     
उस जमाने में कायथ परिवार का नाम था ईमानदारी में और सीधे लोगो में,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने अपनी प्रोपर्टी अपनी लडकीयो को सादी में दिए थे,
कायथ खानदान में लडके बहुत कम पैदा होते थे लडकिया जयादा पैदा होती थी इसलिए यह खानदान बड़ा खानदान नही बन पाया,
1480 से 1890, उस ज़माने में कायथ खानदान के पास 8 घर, 15 प्लोट, 12 खेत थे,
मुम्बई में 3 गोडाउन, एक 2 माले की बिल्डिंग थी,
सब को कायथ परिवार की नसीहत, >>>>>पांच दिन की हकुमत एंड दोलत पर इतना घमंड, कायथ परिवार तो 550 साल से सुल्तान है,

Kayath

कायथ परिवार का इतिहास 
सरनेम कायथ, जात तेली, धर्म सुन्नी मुस्लिम,
राजा फतेह खान परिवार एंड कायथ परिवार दोनों मिल कर फतेहपुर शेखावाटी को बसाया है,
तेली जात में सबसे ऊँचा खानदान कायथ खानदान है,
कायथ खानदान तेली जात का बहुत भला किया है,
कोई भी तेली जात को कुछ भी प्रोब्लम या कोई तकलीफ होती थी तो वह कायथ परिवार के पास आते थे, कायथ परिवार उन की प्रोब्लम और तकलीफ का Solution निकालते थे,
क्यों की कायथ परिवार की बहुत पहचान थी, और उनका नाम भी था,  
तेली जात पर बहुत से प्रतिबन्ध थे वह सब कायथ परिवार ने हटवाये,
कायथ परिवार 1480 से 1887 तक पेसे वाला परिवार था क्यों की कायथ परिवार और राजा जलाल खान का परिवार दोनों परिवारों में दोस्ती थी,
राजा जलाल खान का परिवार कायथ परिवार की बात को कभी भी गिरने नहीं दिया,
इस लिए तेली जात के सब खानदान कायथ खानदान से दोस्ती और रिश्ता करने की दिल में तमन्ना रखते थे,
राजा जलाल खान के घर में सिर्फ कायथ खानदान को अन्दर जाने की इजाजत थी बाकि कोई भी तेली जात इन्दर नहीं जा सकते थे,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान की ओरतो ने (सोना gold) पहना,
फतेहपुर राजस्थान में तेली जात में सबसे ज्यादा प्रोपर्टी कायथ खानदान के पास थी,
मुम्बई में विठल वाड़ी कालबादेवी रोड और मुम्बादेवी मन्दिर के पास 3 गोड़ाउन (सांचा) थे, 
बम्बई में कायथ परिवार की 2 माले की बिल्डिंग थी मुम्बादेवी मंदिर के पास,
उस बिल्डिंग को कायथ परिवार ने तेली जात के रहने के लिए दिया था कोई भी तेली वंहा फिरि में रह सकता है कितने दिन भी और खाना भी खा सकता है फिरि में,
कायथ परिवार उस बिल्डिंग को तेली जात के लिए लि थि कोई भी तेली वंहा रह सकते थे, और रहते थे,
1876 में राजा फतेह सिन्घ & मुन्सी कायथ में बहुत करीबी दोस्ती थी,
तेली जात पर पाबंदी थी की वह सकर की मिठाई नहीं बना सकते, तेली जात सिर्फ गुड की मिठाई ही बनाती थी,
मुन्सी कायथ ने राजा फतेह सिंग को कहा की मेरी ख्वाइस है की मेरे घर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाऊंगा, राजा फतेह सिन्घ ने बोला की ठीक है बनवा लेना,
1887 में मुन्सी कायथ हज के लिए मक्का सऊदी अरबिया गये हज करने के बाद मदीना गये,
मदीना में मुन्सी कायथ की अचानक मोत हो गई उनको मदीना में द्फ्ना दिया,
(तारीख 09-September-1887 Friday),
तेली जात में सब से पहले मदीना में दफन होने वाले भी कायथ परिवार से थे,
फिर राजा फ़तेह सिन्घ जो उदैपुर राजस्थान के राजा थे उन्होंने पैगाम भिजवाया मुन्सी कायथ के घर में बताया की मुन्सी कायथ की मदीना में मोत हो गई है,
और उनकी खवाइस थी की मेरे गर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाउंगा मेने उनसे वादा किया था की बाना लेना,
मुन्सी कायथ के मरने के 40 दिन बाद राजा फ़तेह सिन्घ फतेहपुर राजस्थान वजीर कायथ के गर पर आया और वजीर कायथ के चालिसे में सकर की मिठाई बनाई,
और हमेसा के लिए प्रतिबन्ध हटा दिया,
इसका मतलब तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने सकर की मिठाई बनाई थी,
और तेली जात में सब से पहले हज भी कायथ परिवार ने पढ़ा,     
उस जमाने में कायथ परिवार का नाम था ईमानदारी में और सीधे लोगो में,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने अपनी प्रोपर्टी अपनी लडकीयो को सादी में दिए थे,
कायथ खानदान में लडके बहुत कम पैदा होते थे लडकिया जयादा पैदा होती थी इसलिए यह खानदान बड़ा खानदान नही बन पाया,
1480 से 1890, उस ज़माने में कायथ खानदान के पास 8 घर, 15 प्लोट, 12 खेत थे,
मुम्बई में 3 गोडाउन, एक 2 माले की बिल्डिंग थी,
सब को कायथ परिवार की नसीहत, >>>>>पांच दिन की हकुमत एंड दोलत पर इतना घमंड, कायथ परिवार तो 550 साल से सुल्तान है,

Kayath Family

कायथ परिवार का इतिहास 
सरनेम कायथ, जात तेली, धर्म सुन्नी मुस्लिम,
राजा फतेह खान परिवार एंड कायथ परिवार दोनों मिल कर फतेहपुर शेखावाटी को बसाया है,
तेली जात में सबसे ऊँचा खानदान कायथ खानदान है,
कायथ खानदान तेली जात का बहुत भला किया है,
कोई भी तेली जात को कुछ भी प्रोब्लम या कोई तकलीफ होती थी तो वह कायथ परिवार के पास आते थे, कायथ परिवार उन की प्रोब्लम और तकलीफ का Solution निकालते थे,
क्यों की कायथ परिवार की बहुत पहचान थी, और उनका नाम भी था,  
तेली जात पर बहुत से प्रतिबन्ध थे वह सब कायथ परिवार ने हटवाये,
कायथ परिवार 1480 से 1887 तक पेसे वाला परिवार था क्यों की कायथ परिवार और राजा जलाल खान का परिवार दोनों परिवारों में दोस्ती थी,
राजा जलाल खान का परिवार कायथ परिवार की बात को कभी भी गिरने नहीं दिया,
इस लिए तेली जात के सब खानदान कायथ खानदान से दोस्ती और रिश्ता करने की दिल में तमन्ना रखते थे,
राजा जलाल खान के घर में सिर्फ कायथ खानदान को अन्दर जाने की इजाजत थी बाकि कोई भी तेली जात इन्दर नहीं जा सकते थे,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान की ओरतो ने (सोना gold) पहना,
फतेहपुर राजस्थान में तेली जात में सबसे ज्यादा प्रोपर्टी कायथ खानदान के पास थी,
मुम्बई में विठल वाड़ी कालबादेवी रोड और मुम्बादेवी मन्दिर के पास 3 गोड़ाउन (सांचा) थे, 
बम्बई में कायथ परिवार की 2 माले की बिल्डिंग थी मुम्बादेवी मंदिर के पास,
उस बिल्डिंग को कायथ परिवार ने तेली जात के रहने के लिए दिया था कोई भी तेली वंहा फिरि में रह सकता है कितने दिन भी और खाना भी खा सकता है फिरि में,
कायथ परिवार उस बिल्डिंग को तेली जात के लिए लि थि कोई भी तेली वंहा रह सकते थे, और रहते थे,
1876 में राजा फतेह सिन्घ & मुन्सी कायथ में बहुत करीबी दोस्ती थी,
तेली जात पर पाबंदी थी की वह सकर की मिठाई नहीं बना सकते, तेली जात सिर्फ गुड की मिठाई ही बनाती थी,
मुन्सी कायथ ने राजा फतेह सिंग को कहा की मेरी ख्वाइस है की मेरे घर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाऊंगा, राजा फतेह सिन्घ ने बोला की ठीक है बनवा लेना,
1887 में मुन्सी कायथ हज के लिए मक्का सऊदी अरबिया गये हज करने के बाद मदीना गये,
मदीना में मुन्सी कायथ की अचानक मोत हो गई उनको मदीना में द्फ्ना दिया,
(तारीख 09-September-1887 Friday),
तेली जात में सब से पहले मदीना में दफन होने वाले भी कायथ परिवार से थे,
फिर राजा फ़तेह सिन्घ जो उदैपुर राजस्थान के राजा थे उन्होंने पैगाम भिजवाया मुन्सी कायथ के घर में बताया की मुन्सी कायथ की मदीना में मोत हो गई है,
और उनकी खवाइस थी की मेरे गर में कोई भी फंक्सन हुआ तो में सकर की मिठाई बनाउंगा मेने उनसे वादा किया था की बाना लेना,
मुन्सी कायथ के मरने के 40 दिन बाद राजा फ़तेह सिन्घ फतेहपुर राजस्थान वजीर कायथ के गर पर आया और वजीर कायथ के चालिसे में सकर की मिठाई बनाई,
और हमेसा के लिए प्रतिबन्ध हटा दिया,
इसका मतलब तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने सकर की मिठाई बनाई थी,
और तेली जात में सब से पहले हज भी कायथ परिवार ने पढ़ा,     
उस जमाने में कायथ परिवार का नाम था ईमानदारी में और सीधे लोगो में,
तेली जात में सबसे पहले कायथ खानदान ने अपनी प्रोपर्टी अपनी लडकीयो को सादी में दिए थे,
कायथ खानदान में लडके बहुत कम पैदा होते थे लडकिया जयादा पैदा होती थी इसलिए यह खानदान बड़ा खानदान नही बन पाया,
1480 से 1890, उस ज़माने में कायथ खानदान के पास 8 घर, 15 प्लोट, 12 खेत थे,
मुम्बई में 3 गोडाउन, एक 2 माले की बिल्डिंग थी,
सब को कायथ परिवार की नसीहत, >>>>>पांच दिन की हकुमत एंड दोलत पर इतना घमंड, कायथ परिवार तो 550 साल से सुल्तान है,